मटकों में ढींगरी mushroom(oyster mushroom) की खेती ।। Matko me oyster mushroom ki kheti
मटकों में ढींगरी मशरूम का उत्पादन
राजस्थान
में
मुख्यतः तीन प्रकार के मशरूम की खेती की जाती है। इसमें बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम और मिल्की मशरूम शामिल
हैं। प्रदेश की जलवायु भिन्न प्रकार की है तथा ऋतुओं के अनुसार वातावरण में तापमान तथा नमी भी अलग-अलग रहती है। इसको
ध्यान में रखकर समय-समय पर विभिन्न प्रकार के मशरूमों की खेती की जा सकती है। हमारे देश और कई राज्यों की
जलवायु
ढींगरी
मशरूम के लिए बहुत ही अनुकूल है तथा वर्षभर ढींगरी मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती की जा सकती है। ढींगरी या ऑयस्टर
मशरूम (प्लूरोटस) सर्वाधिक लोकप्रिय शीतोष्ण एवं उपोष्ण प्रजाति है और विश्व मशरूम उत्पादन में इसका बटन मशरूम व शिटाके
मशरूम के बाद तृतीय स्थान है।
ਫੀगरी मशरूम की लगभग 32 प्रजातियां
सारे विश्व में पाई जाती हैं। इसमें से
लगभग सोलह प्रजातियों का व्यावसायिक तौर
पर उत्पादन किया जाता है। इनमें शामिल हैं:
प्लूरोटस सेपीडस, प्लूरोटस फ्लोरिडा, प्लूरोटस
सजोर-काजू, प्लूरोटस फ्लेबीलेटस, प्लूरोटस
ऑस्ट्रीएटस, प्लूरोटस एरीन्जाई, प्लूरोटस
सिट्रीनोपिलीयेटस, प्लूरोटस कार्नुको पीया,
प्लूरोटस मेम्ब्रेनीयस, प्लूरोटस सिस्टीडीयोसस,
प्लूरोटस फोसुलेटस, प्लूरोटस ओपन्शीयाई,
प्लूरोटस ट्यूबररेजीयम इत्यादि। ढींगरी की
विभिन्न प्रजातियों की विशेषता यह है कि
ये देखने में अलग-अलग हैं। इनका स्वाद
तथा इन्हें उगाने के लिए तापमान भी भिन्न
रखना होता है। कुछ समय पहले तक इसकी
कुछ ही प्रजातियों का उत्पादन मुख्यतः सिर्फ
गर्मियों में अप्रैल से सितंबर तक किया जा सकता
था। अध्ययन करने पर पाया गया कि
अन्य प्रजातियां गर्मियों के लिए उपयुक्त हैं
तथा कुछ प्रजातियां सर्दियों में उगाने के लिए
खासतौर पर जब तापमान 14°-20° सेल्सियस
तक होता है तथा उनका उत्पादन अच्छा होता
है। सर्दियों में उगाये जाने वाली किस्में प्लूरोट्स
ऑस्ट्रीएट्स, प्लूरोटस फ्लोरिडा, प्लूरोटस
एरीन्जाई तथा प्लूरोटस फोसुलेट्स हैं। अन्य
सभी किस्में गर्मियों में उगाने के लिए उपयुक्त
हैं। इस तरह तापमान के अनुसार ढींगरी की
प्रजातियों का चयन कर वर्षभर पैदावार ली
जा सकती है।
राजस्थान में ढींगरी मशरूम का
प्रचलन बहुत कम है, लेकिन इसकी
प्रजाति प्लूरोटस फ्लोरिडा के सफेद दूधिया
रंग के कारण इसकी मांग बढ़ने लगी
है। इस प्रजाति के लिए आवश्यक तापम मान
18°-22° सेल्सियस) व आर्द्रता (80-85
प्रतिषत) पूरे वर्ष नहीं रहने के कारण इ
बना नियंत्रित कक्ष के (जिनमें तापम
और आर्द्रता को नियंत्रित किया जा सके)
पूरे वर्ष उगाना मुश्किल होता है। हम इस
प्रजाति का उत्पादन यदि मटकों में करें तो
गर्मी के दिनों में भी इस प्रजाति को उग आने
मे सफलता प्राप्त कर अच्छा उत्पादन ले
सकते हैं। मटकों और उसके आसपास का
तापमान बाहर के तापमान से 10 degree से 12 degree सेल्सियस तक कम होता है तथा आर्द्रता भी
पर्याप्त मात्रा में रहती है।
राजस्थान में विभिन्न त्यौहारों
जैसे-आक्खातीज, बासोड़ा, निर्जला ग्यारस,
गोगा नवीं आदि पर घरों में नये मटके रखने
की प्रथा है तथा गर्मियों में भी पुराने मटके
हटाकर नये मटके रखे जाते हैं। इससे पुराने
मटके यों ही व्यर्थ हो जाते हैं। हम उन
मटकों का उपयोग मशरूम उगाने में कर
सकते हैं। इस नई तकनीक द्वारा मटकों में
ढींगरी मशरूम उगाने की विधि का विवरण
आगे दिया गया है:
तैयारी
ढींगरी का उत्पादन करने के लिए खेत
खलिहानों से प्राप्त कृषि अवशेषों का प्रयोग
किया जा सकता है। कृषि अवशेष सूखा हो
और उसमें किसी भी तरह की फफूंद का
प्रकोप नहीं होना चाहिए।
बीजाई के लिए मटके तैयार करना
सर्वप्रथम पुराने मटकों को 4 %
फार्मेलीन के घोल से उपचारित कर पॉलीथीन
शीट से 24 घंटे तक के लिए ढक दिया
जाता है। 24 घंटे बाद पॉलीथीन शीट हटाकर
मटकों को हवा में 12 घंटे के लिए रखा
जाता है ताकि उनमें से फार्मेलीन की गंध
निकल जाये। अगले दिन इन उपचारित मटकों
में ड्रिल मशीन की सहायता से 10 से 12
सें.मी. की दूरी पर 5-7 मि.मी. व्यास के 15
से 20 छिद्र किए जाते हैं। मटकों को माध्यम
या पोषाधार तैयार करने से पहले तैयार कर
लेना चाहिए।
बीजाई
प्लूरोटस फ्लोरिडा का ताजा स्पॉन जो
कि 30 दिनों से ज्यादा पुराना नहीं हो, काम में
लेना चाहिए। बीज की मात्रा 250 से 300 ग्राम
प्रति 10 से 12 कि.ग्रा. गीले भूसे की दर से
प्रयोग की जानी चाहिए। गीला भूसा और बीज
को एक प्लास्टिक के टब में अच्छी तरह से
मिलाकर तैयार किए गए मटकों में ऊपर तक
भर दिया जाता है। इसके बाद मटके के मुंह
को पॉलीथीन से बंद कर दिया जाता है। मटकों
में किए गए छिद्रों को नमी न सोखने वाली
रुई से बंद किया जाता है।
कवक जाल का फैलाव व प्रबंधन
स्पॉनिग के पश्चात इन मटकों को
उत्पादन कक्ष में रख दिया जाता है। मटकों
को रखने के लिए लोहे या बांस के प्रेम
या सीढ़ीनुमा रैकों अथवा लटकाने के
लिए रस्सी का उपयोग किया जा सकता
है। उत्पादन कक्ष, जिसका आकार 15'
लंबाई X10' चौड़ाई X 10' ऊंचाई हो,
में लगभग 100 से 125 मटके रखे जा
सकते हैं। उत्पादन कक्ष में दो खिड़कियां
होनी चाहिए। शीघ्र ही बीजों से छोटे-छोटे
सफेद तन्तुओं का एक जाल फैलने लगता
है। सफेद तन्तुओं का जाल कवक जाल
कहलाता है। कवक जाल फैलते समय
कमरे में प्रकाश एवं ऑक्सीजन की
जरूरत नहीं होती। केवल दिन में दो से
तीन बार मटकों पर पानी छिड़कने की
जरूरत होती है, जिससे उसके आसपास
का वातावरण ठंडा रहे। कमरे का तापमान
28° सेल्सियस से बढ़ने लगे तो फर्श
तथा दीवारों पर पानी का छिड़काव करने
से तापमान कम हो जाता है। एयर कूलर
की सहायता से भी कमरे को ठंडा रखा
जा सकता है। लगभग 15 से 20 दिनों
में सफेद कवक जाल पूरे भूसे पर फैल
जाता है।
मटकों में mushroom उत्पादन तथा रखरखाव
फलन के लिए मटकों के छिद्रों में से रुई व मुंह पर लगी पॉलीथीन हटा दी
जाती है। दिन में दो से तीन बार मटकों, फर्श व दीवारों पर पानी का छिड़काव
किया जाता है, ताकि आवश्यक आर्द्रता (80-85 प्रतिशत) बनी रहे। कवक जाल
फैलने के 7 से 10 दिनों बाद मटकों पर किए गए छोटे-छोटे छेदों में से मशरूम
कलिकायें निकलनी शुरू हो जाती हैं। ढींगरी मशरूम की कलिकायें बनने व उनके
विकास के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है। प्रतिदिन 4 से 5 घंटे ट्यूब
लाइट अथवा बल्ब का प्रकाश देना चाहिए। कमरे में आर्द्रता भी लगभग 75-80
प्रतिशत होनी चाहिए। पानी छिड़कते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि
यदि मशरूम तोड़ने लायक हो रही हो तो छत्रक पर पानी का जमाव नहीं रहे। पानी
का छिड़काव हमेशा मशरूम तोड़ने के बाद करना चाहिए। कमरे की खिड़कियां
तथा दरवाजे प्रतिदिन दो घंटे खुले रखने चाहिये, जिससे कार्बनडाईऑक्साइड बाहर
निकल जाये तथा ऑक्सीजन की उचित मात्रा कमरे में विद्यमान रहे। ढींगरी मशरूम
का छत्रक अगर छोटा तथा डंठल बड़ा हो तो समझ लेना चाहिए कि ऑक्सीजन
पर्याप्त नहीं है। ऐसे समय में खिड़कियों को ज्यादा देर तक खुला रखना चाहिए।
उत्पादन कक्ष में एग्जॉस्ट फैन लगाकर भी कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा कम की
जा सकती है। मशरूम कलिकायें दो से तीन दिनों में बढ़कर परिपक्व हो जाती
हैं। जब ढींगरी मशरूम के छत्रक का बाहरी किनारा अंदर की तरफ मुड़ने लगे तो
समझ लेना चाहिए कि फसल तोड़ने लायक हो गयी है। पूर्ण विकसित मशरूम को
हाथ से मरोड़कर तोड़ लेना चाहिए।
सारणी 1. ढींगरी मशरूम की विभिन्न प्रजातियां, उगाने का तापमान, बीज फैलने का समय, पैदावार
में लगा समय एवं पैदावार (gms/kg)
1.प्लूराटेस फ्लेबीलेटस
ugane ka temperature 22-26°
बीज फैलने का समय(दिन) 12-14
पैदावार के लिए समय (दिन ) 18-22
600-900gms पैदावार
2.प्लूरोटस सजोर-काजू
उगाने का temperature 22-26°
बीज फैलने का समय(दिन) 12-14
पैदावार के लिए समय (दिन ) 18-25
500-700gms पैदावार
3.प्लूरोटस सेपीडस
उगाने का temperature 22-26°
बीज फैलने का समय(दिन) 16-18
पैदावार के लिए समय (दिन ) 22-28
400-750gms पैदावार
4.प्लूरोटस ईयोस
उगाने का temperature22-26°
बीज फैलने का समय16-18
पैदावार के लिए समय (दिन ) 25-30
300-500gms पैदावार
5.प्लूराटेस ऑस्ट्रीएटस
ugane ka temperature12-22°
बीज फैलने का समय20-25
पैदावार के लिए समय (दिन )30-35
300-500 gms पैदावार
6.प्लूरोटस फ्लोरिडा
ugane ka temperature18-22°
बीज फैलने का समय16-18
पैदावार के लिए समय (दिन )25-30
300-500gms पैदावार
उपज
ढींगरी की पैदावार 35 से 40 दिनों तक आती रहती है तथा एक कि.ग्रा. सूखे भूसे
से लगभग 500 से 900 ग्राम तक मशरूम प्राप्त हो सकती है। पहली फसल के कुछ दिन
(लगभग 10-15 दिनों) बाद
दूसरी फसल आती है। पैदावार
भूसे की गुणवत्ता तथा ढींगरी
की प्रजाति पर निर्भर करती है।
तुड़ाई के बाद डंठल के साथ
लगी घास को काटकर हटा
दिया जाता है तथा दो घंटे बाद
छिद्रित पॉलीथीन में पैक कर
बाजार में भेजना चाहिए। इस
मशरूम को सुखाया भी जा
सकता है। उसके लिए इसे
साफ मलमल के कपड़े पर
धूप में या हवादार कमरे में
दो से तीन दिनों तक रखना
चाहिए। सूखी ढींगरी को अच्छी
मशरूम कलिकाओं का निकलना
तरह से सीलबन्द करके उपयोग में लाने से पहले गर्म पानी में 10 मिनट तक भिगो देना
चाहिए। उसके बाद उसकी सब्जी अथवा सूप बनाना चाहिए। ढींगरी के बीजाणु (स्पोर्स)
से एलर्जी होती है। उत्पादन कक्ष में जाने से पहले नाक व मुंह पर पतला कपड़ा बांधकर
खिड़कियां तथा दरवाजे खोलने के दो घंटे बाद कमरे में प्रवेश करना चाहिए।
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